‘मनस्विता तिवारी’ ने बीमारी को हरा जीते 16 पदक

उज्जैन |  सेरेबलपाल्सी नामक बीमारी से हाथ पैर अकड़ जाते थे, चलने में परेशानी होती थी। फिर भी हिम्मत नहीं हारी, कमजोरी को पछाड़ा और आज पैराओलंपिक में खेली गई स्वीमिंग स्पर्धा में तीन बार की चैम्पियन रह चुकी हैं मनस्विता तिवारी। उन्होंने 3 वर्षों में ही 16 पदक जीते हैं, जिसमें 14 स्वर्ण और दो कांस्य हैं।

सेरेबलपाल्सी बीमारी
उज्जैन की मनस्विता तिवारी एक समय सेरेबलपाल्सी बीमारी से पीडि़त थीं। इसके बाद उन्होंने स्वीमिंग शुरू की। न सिर्फ बीमारी को हराया, बल्कि अन्य लोगों को हराते हुए तीन वर्षों से लगातार चैम्पियन होने का गौरव भी हासिल किया। इसमें उनका साथ दिया परिवार और कोच अजय राजपूत ने। परिवार के हौसले और राजपूत की मेहनत के दम पर मनस्विता ने एक नया मुकाम हासिल किया है।

कोच अजय भी कम नहीं
मनस्विता के कोच अजय राजपूत भी कम भी नहीं हैं और उन्होंने भी उक्त स्पर्धा में 50 मीटर बैक स्ट्रोक में रजत पदक हासिल किया । पिछले छह वर्षों में अजय एक स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य पदक जीत चुके हैं। एक ट्रेन हादसे में अपना पैर गंवा देने के बाद भी अजय ने हिम्मत नहीं हारी और स्वीमिंग करते हुए न देश के लिए पदक हासिल कर रहे हैं, बल्कि औरों को भी प्रशिक्षत कर रहे हैं।

4 स्वर्ण के साथ बनीं चैम्पियन
हाल ही में जयपुर में आयोजित हुए 16वीं राष्ट्रीय पैराओलंपिक तैराकी चैम्पियनशिप में मनस्विता तिवारी ने 50 मीटर फ्री स्टाइल, 100 मीटर फ्री स्टाइल, 100 मीटर बटर फ्लाई व 200 मीटर व्यक्तिगत मेडल में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। इसके साथ ही व्यक्तिगत राष्ट्रीय तैराकी स्पर्धा में चैम्पियनशिप पर कब्जा किया। मनस्विता का सपना भारत के लिए पैराओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना है। इसके साथ ही वे अब इंटरनेशनल यूथ गेम्स की तैयारी में जुट गई।

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